माननीय सचिव, राजभाषा विभाग के साथ बैठक – दिनांक 20.09.2018
केन्द्रीय सचिवालय राजभाषा सेवा समूह 'क' अधिकारी एसोसिएशन
केन्द्रीय सचिवालय राजभाषा सेवा समूह 'क' अधिकारी एसोसिएशन
CENTRAL SECRETARIAT OFFICIAL LANGUAGE
SERVICE GROUP 'A' OFFICERS ASSOCIATION
701-ए, सातवाँ
तल, ब्लॉक-11, सी जी ओ कांप्लेक्स, नई दिल्ली-110003
701-A, SEVENTH FLOOR, BLOCK-11, C G O
COMPLEX, NEW DELHI- 110003
बैठक की
शुरूआत में महासचिव ने समय देने और संवर्ग समस्याओं को सुलझाने में रूचि लेने के
लिए माननीय सचिव महोदय के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। महासचिव ने वरिष्ठ अनुवादक
से सहायक निदेशक के पद पर पदोन्नति देने की इस एसोसिएसन की लंबित मांग
पर विचार करने और मामले को संघ लोक सेवा आयोग को भिजवाने
तथा सहायक निदेशक से उप निदेशक पद पर पात्रता की अवधि की गणना के लिए 2.5 वर्ष की
नियमित सेवा पूरी कर चुके सहायक निदेशकों को पात्र बनाने की इस एसोसिएसन की दूसरी लंबित मांग पर विचार करने और इस प्रयोजनार्थ संगत प्रावधान को भर्ती
नियमों में स्थान दिलाने के लिए भी सचिव महोदय का आभार व्यक्त किया। सचिव महोदय को
बताया गया कि केंद्रीय सचिवालय राजभाषा सेवा में अनुवादकों और अधिकारियों के कुछ
स्तरों पर भारी संख्या में पद रिक्त होने का मुख्य कारण वर्ष 2015 में अधिसूचित
सेवा नियमों की अनेक खामियां है जिनमें प्रमुख खामी अनुमोदित सेवा के वांछित प्रावधान के स्थान पर
नियमित सेवा का अवांछित प्रावधान किया जाना है जिसके फलस्वरूप अनुवादक और अधिकारी विलंब से
पदोन्नति हेतु पात्र बनते हैं जबकि CSS एवं CSSS जैसी जबकि समांतर सेवाओं के सेवा नियमों में अनुमोदित सेवा का प्रावधान होने से वहाँ पात्रता की समस्या नहीं है। सचिव महोदय को यह भी बताया गया लंबे समय से संवर्ग के
किसी भी स्तर की वरिष्ठता सूची अद्यतन नहीं है और इसे यथाशीघ्र अद्यतन करने का अनुरोध
किया ।
एसोसिएशन की ओर से सचिव महोदय को बताया गया कि वर्ष 2011 में हुई संवर्ग समीक्षा के संबंध में जारी किए गए राजभाषा विभाग के दिनांक 12.09.2011 के कार्यालय ज्ञापन के अनुसरण में सभी स्तरों के पदों को एकबारगी उपाय के रूप में केवल पदोन्नति से भरा जाना था परंतु इस सरकारी प्रतिबद्धता को पूरा नहीं किया गया। सचिव महोदय को यह भी बताया गया कि राजभाषा विभाग के दिनांक 02.12.2015 के पत्र द्वारा इस एसोसिएशन से अनुरोध किया गया था वह सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों पर अपने विचार लिखित में राजभाषा विभाग को भिजवाए ताकि उन्हें विचार के लिए कार्मिक तथा प्रशिक्षण विभाग/व्यय विभाग को भेजा जा सके परंतु इस बारे में एसोसिएशन के विचारों पर कोई गौर नहीं किया गया। इसी प्रकार राजभाषा विभाग ने स्वयं अपने दिनांक 13.01.2017 और 13.02.2017 के कार्यालय ज्ञापनों द्वारा सेवा नियमों में संशोधनों पर इस एसोसिएशन और सभी संबंधितों के विचार मांगे थे और इस एसोसिएशन के साथ-साथ सेवा के लगभग 125 अनुवादकों/अधिकारियों ने समय रहते राजभाषा विभाग को अपने विचार भिजवा दिए थे परंतु आश्चर्यजनक रूप से इस मामले को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
एसोसिएशन की ओर से सचिव महोदय को बताया गया कि वर्ष 2011 में हुई संवर्ग समीक्षा के संबंध में जारी किए गए राजभाषा विभाग के दिनांक 12.09.2011 के कार्यालय ज्ञापन के अनुसरण में सभी स्तरों के पदों को एकबारगी उपाय के रूप में केवल पदोन्नति से भरा जाना था परंतु इस सरकारी प्रतिबद्धता को पूरा नहीं किया गया। सचिव महोदय को यह भी बताया गया कि राजभाषा विभाग के दिनांक 02.12.2015 के पत्र द्वारा इस एसोसिएशन से अनुरोध किया गया था वह सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों पर अपने विचार लिखित में राजभाषा विभाग को भिजवाए ताकि उन्हें विचार के लिए कार्मिक तथा प्रशिक्षण विभाग/व्यय विभाग को भेजा जा सके परंतु इस बारे में एसोसिएशन के विचारों पर कोई गौर नहीं किया गया। इसी प्रकार राजभाषा विभाग ने स्वयं अपने दिनांक 13.01.2017 और 13.02.2017 के कार्यालय ज्ञापनों द्वारा सेवा नियमों में संशोधनों पर इस एसोसिएशन और सभी संबंधितों के विचार मांगे थे और इस एसोसिएशन के साथ-साथ सेवा के लगभग 125 अनुवादकों/अधिकारियों ने समय रहते राजभाषा विभाग को अपने विचार भिजवा दिए थे परंतु आश्चर्यजनक रूप से इस मामले को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
एसोसिएशन
ने सचिव महोदय से अनुरोध किया कि वे इस एसोसिएशन द्वारा विगत में प्रस्तुत दिनांक
03.12.2015 और दिनांक 13.02.2017 और 10.03.2017 के पत्रों पर कार्रवाई सुनिश्चित
कराने का कष्ट करें जिससे कि पदोन्नति में आ रहा अवरोध जड़ से समाप्त हो सके। एसोसिएशन
ने सचिव महोदय से यह भी अनुरोध किया कि चूंकि उप निदेशक पद पर पदोन्नति के लिए
पात्रता के संबंध में भर्ती नियमों में जारी संशोधन प्रक्रिया में डेढ या दो महीने
का समय लग सकता है, अत: संबंधित सहायक निदेशकों की
वार्षिक कार्य निष्पादन मूल्यांकन रिपोर्टें एवं सतर्कता अनापत्ति आदि मंगाने का कार्य तत्काल शुरू कर दिया जाए।
एसोसिएशन ने सचिव महोदय से निदेशक स्तर के पदों को भी तदर्थ आधार पर तुरंत भरने का
अनुरोध किया। संपूर्ण वार्तालाप का सार यह है कि सचिव महोदय सभी खाली पदों को यथाशीघ्र
पदोन्नति से भरने के लिए सन्नद दिखाई दिए और बैठक के दौरान उनका रूख आशा से अधिक सकारात्मक रहा। चर्चा के उपरांत एसोसिएशन ने सचिव महोदय
को अपनी मांगो के बारे में एक ज्ञापन भी दिया।
इस एसोसिएशन की बैठक के बाद सचिव महोदय से अनुवादकों के भी एक
प्रतिनिधि मंडल ने मुलाकात की।
Ad (ol) ke direct recruitment par kisi NE Koi baat chit Ki or nhi. 20.03.2016 ko aayojit upsc ad ol exam KA Kya hua?
ReplyDeleteMitro lagbhag do varsh poorv ek sujhaav maanga gaya tha Anuvadak ka padnaam parivartan ke sambandh me ooska kya hua.koi update ho to kripaya saajha Karen.
ReplyDeleteMitro lagbhag do varsh poorv ek sujhaav maanga gaya tha Anuvadak ka padnaam parivartan ke sambandh me ooska kya hua.koi update ho to kripaya saajha Karen.
ReplyDeleteराजभाषा काडर में अधिकारियों के सभी पद शीघ्र ही समाप्त होंगे
ReplyDeleteराजभाषा काडर में कार्यरत हमारे कुछ साथी अपने सभी प्रयासों (साम, दाम दंड, भेद) से इस काडर का सत्यानाश करने पर तुले हुए हैं। उनका एकमात्र नारा है – “मैं/हम नहीं, तो कोई नहीं”। काडर में जब भी कोई प्रमोशन की या भर्ती नियमों में सकारात्मक संशोधन के लिए फाइल चलती है तो कोई भी साथी कुछ लिखकर राजभाषा विभाग में दे देता है या कोर्ट में केस फाइल कर देता है, जिससे कि काफी महीने तक फाइल रुक जाती है।
अभी हाल ही में, जब सहायक निदेशक से उप निदेशक के पद पर प्रोन्नति के लिए कुछ कार्रवाई शुरु हुई तो कुछ साथियों ने कैच-अप रूल के लिए कोर्ट में केस फाइल कर दिया है। इससे ऐसा होगा (100% गारंटी से) कि दो-तीन साल तक कैट में केस चलेगा। इसके बाद जो पार्टी हारेगी, वह हाई कोर्ट में जाएगी। वहां दो-तीन साल केस चलेगा। इसके बाद यहां जो पार्टी हारेगी, वह उच्चतम न्यायालय भी जाएगी। वहां भी दो साल केस चलेगा। इससे किसी को भी प्रमोशन नहीं मिलेगा, सभी सहायक निदेशक बिना प्रमोशन के ही रिटायर हो जाएंगे। इसके अलावा, कुछ सालों में ही काडर में उप निदेशक पद के साथ-साथ संयुक्त निदेशक और निदेशक के सभी पद भी रिक्त हो जाएंगे।
हमारे काडर में कुछ ज्यादा ही पढे-लिखे लोग हैं, तभी तो वे जाति-धर्म की राजनीति पर उतारू हो गए हैं। उन्हें देश की राजनीति में अवश्य ही भाग लेना चाहिए, वहां उनकी सफलता निश्चित है। भारत सरकार के किसी भी काडर में कैच-अप रूल लागू नहीं है, पर कुछ ज्यादा ही होशियार साथी (सभी जानते हैं वे कौन हैं) यह नहीं जानते कि दूसरे का बुरा करने पर उनका भी निश्चित बुरा ही होगा।
ईश्वर उनको सद्बुद्धि दे, जिससे राजभाषा काडर का सत्यानाश होने से बच जाए।