केन्द्रीय सचिवालय राजभाषा
सेवा समूह 'क' अधिकारी एसोसिएशन
केंद्रीय सचिवालय राजभाषा सेवा के भाइयों और
बहनों,
जैसा
कि आप अवगत हैं, राजभाषा विभाग ने अपनी वेबसाईट पर नये भर्ती नियमों का मसौदा
प्रदर्शित करके उस पर 13 फरवरी, 2017 तक पक्षकारों के सुझाव मांगे हैं। आपसे विनती
है कि आप सब अपने सुझाव राजभाषा विभाग को अवश्य भेजें। इस एसोसिएशन ने राजभाषा
विभाग को दिए जाने वाले सुझावों का एक मसौदा तैयार किया है। आप इस एसोसिएशन के
सुझावों के मसौदे को ज्यों का त्यों या सीमित संशोधनों के साथ राजभाषा विभाग को
भिजवा सकते हैं। आप अपने सुझाव हमारे पदाधिकारियों के पास भी दिनांक 10.02.2017 तक
जमा करवा सकते हैं जो समय रहते उनको राजभाषा विभाग को अवश्य भिजवा देंगे। याद रहे
मुख्य मुद्दा पदोन्नति के अवसरों की उपलब्धता का है जो समाप्त प्राय: हो गए
हैं। आपके सुझावों को आप से लेकर राजभाषा विभाग में जमा करने को तत्पर हमारे
पदाधिकारी और सदस्य हैं- सर्व-श्री
वी.पी. गौड, चांद किरण बेदी, जीवन लाल (शास्त्री भवन), के. के. माहोर, जय सिंह
(कृषि भवन), भास्कर मिश्र (उद्योग भवन), सुरेश धर दुबे, एस.के. तुली, सुधीर कुमार (निर्माण भवन, भारतीय पुरातत्व
सर्वेक्षण एवं विज्ञान भवन), इ. अहमद, सुश्री सीमा चावला, नवीन वोहरा, उमा शंकर
शर्मा (संसद मार्ग, एनडीसीसी एवं निर्वाचन आयोग), सुभाष अवस्थी (नार्थ ब्लॉक),
मोहन चन्द मिश्र (साऊथ ब्लॉक, सेना भवन), अरूण विद्यार्थी, सुश्री नमिता
श्रीवास्तव (सीजीओ कॉम्प्लेक्स), शिशिर शर्मा (टेक्नोलॉजी भवन, आईएसटीएम,
सीएसएमआरएस एवं आर. के. पुरम ),
मांगे राम (खान मार्केट) तथा बृजभान-शेष बचे कार्यालय।
सुझावों
का पाठ
सेवा में,
अवर सचिव,
राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय
एनडीसीसी-II बिल्डिंग,
जय सिंह रोड, नई दिल्ली - 110001
विषय : के. स. रा. भा. सेवा (समूह
'क' और समूह 'ख' पद) भर्ती नियम के मसौदे पर सुझाव ।
महोदय,
भर्ती नियमों को सही अर्थों में कार्मिक-अनुकूल बनाने तथा पदोन्नति हेतु
पात्र अधिकारियों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उपर्युक्त विषय पर राजभाषा
विभाग के दिनांक 13.01.2017 के
का.ज्ञा. सं.
01/01/2016-रा.भा.
(सेवा) के प्रत्युत्तर में, केन्द्रीय सचिवालय
राजभाषा सेवा (समूह 'क' और समूह 'ख' पद) भर्ती नियम के मसौदे पर मेरे सुझाव निम्नानुसार
हैं :
क्र.सं.
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सुझाव
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औचित्य
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1.
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कनिष्ठ अनुवादक से ऊपर सेवा के प्रत्येक ग्रेड में
पदोन्नति के लिए पर्याप्त संख्या में पात्र अधिकारियों की उपलब्धता सुनिश्चित
करने के लिए नियमित सेवा की जगह अनुमोदित सेवा का प्रावधान किया जाए, तदनुसार पृष्ठ 17 पर दी गई नियमित सेवा की परिभाषा के स्थान पर अनुमोदित
सेवा की परिभाषा जोड़ी जाए तथा अनुसूची-III में प्रत्येक ग्रेड के
सामने कॉलम-5 में, जहां भी नियमित सेवा शब्द
आते है, वहाँ उनके स्थान पर 'अनुमोदित सेवा' शब्दों का उल्लेख किया
जाए ।
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1. CSS की समानान्तर सेवा के भर्ती नियमों में अनुमोदित सेवा का प्रावधान पहले से मौजूद है जिसके
कारण वहाँ पदोन्नति हेतु पात्र अधिकारी आसानी से उपलब्ध हैं ।
2. पदोन्नति हेतु पात्रता
अवधि की गणना 'अनुमोदित सेवा' के अंतर्गत चयन सूची
वर्ष/रिक्ति वर्ष की 01 जुलाई से जबकि 'नियमित सेवा' के अंतर्गत नियमित आधार पर
कार्यभार ग्रहण करने की तारीख से की जाती है जिससे CSOLS में पदोन्नति हेतु पात्र
अधिकारी उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं ।
3. CSOLS के भर्ती नियमों में अनुमोदित सेवा का प्रावधान
न होने से निदेशक स्तर पर लंबे समय से 13 रिक्तियाँ होने के बावजूद
फिलहाल पदोन्नति हेतु केवल 01 पात्र संयुक्त निदेशक ही
उपलब्ध है और अगले 05 वर्ष में दूसरा कोई पात्र संयुक्त निदेशक पदोन्नति
हेतु उपलब्ध नहीं होगा जबकि सेवा के इस उच्चतम स्तर पर रिक्तियाँ होने से सरकारी
काम-काज पर लगातार प्रतिकूल प्रभाव पड रहा है और अधिकारीगण रिक्तियाँ होने के
बावजूद पदोन्नति नहीं पाने से हताशा, उदासी, निराशा, परेशानी की जिंदगी जीने
को मजबूर हैं । यही स्थिति नीचे के सभी स्तरों के कार्मिकों की है जिसके कारण
अधिकांश अधिकारियों की दशा मनोरोगियों जैसी हो गयी है।
4. समझा जाता है कि संयुक्त निदेशक के पदों को नियमित
पदोन्नति से भरने की कार्रवाई चल रही है परंतु अनुमोदित सेवा के प्रावधान के
अभाव में पात्र अधिकारी उपलब्ध न होने से अपेक्षित संख्या में पद नहीं भरे जा
रहें हैं । उप-निदेशक स्तर के पदों को भरने के लिए तो एक भी पात्र अधिकारी
उपलब्ध नहीं है। यदि अनुमोदित सेवा के आधार पर पात्रता अवधि की गणना का प्रावधान
होता तो आज सभी स्तरों के खाली पद भरे गए होते और अधिकारियों को और अधिक संख्या
में पदोन्नति मिल गयी होती ।
5. 'अनुमोदित सेवा' का प्रावधान करने से
राजभाषा विभाग के समक्ष वर्तमान में हर स्तर पर पदोन्नति के लिए पात्र अधिकारी
उपलब्ध न होने की गंभीर समस्या काफी हद तक हल हो जाएगी क्योंकि ऐसा करने से
पदोन्नति के लिए पात्र अधिकारियों की उपलब्धता की स्थिति बनेगी ।
6. 'अनुमोदित सेवा' के प्रावधान के बाद डी पी
सी की बैठक के विलंब से आयोजित होने की स्थिति में, जैसा कि CSOLS के मामले में होता आ रहा है, कार्मिकों को हुए
व्यक्तिगत नुकसान की काफी हद तक प्रतिपूर्ति हो जाएगी क्योकि तब प्रोन्नति के लिए उनकी पात्रता
अवधि की गणना चयन सूची वर्ष की 01 जुलाई से की जाएगी जो कि
नियमित सेवा के प्रावधान के चलते कार्मिक के नियमित आधार पर कार्यभार ग्रहण करने
की तारीख से की जाती है जिसके कारण डी पी सी की बैठकें विलंब से आयोजित करने की
विभाग की गलती का खामियाजा संबन्धित अधिकारियों को भुगतना पड़ता है ।
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2.
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निदेशक स्तर के पदों को भरने के लिए उल्लिखित 'जिसके न हो सकने पर
प्रतिनियुक्ति द्वारा' शब्दों का और अनुसूची-III में, कॉलम 6- प्रतिनियुक्ति पर चयन-
में प्रतिनियुक्ति पर नियुक्ति हेतु उल्लिखित योग्यता/शर्तों का विलोप किया जाए
।
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निदेशक स्तर के कुछ पदों को प्रतिनियुक्ति से भरने
का प्रावधान वर्ष 2006 में अधिसूचित भर्ती
नियमों में किया गया था परंतु तब से आज तक 11 वर्ष की लंबी अवधि में असंख्य बार विज्ञापन दिए
जाने के बावजूद निदेशक पद पर प्रतिनियुक्ति हेतु अपवादस्वरूप भी कोई पात्र
अधिकारी उपलब्ध नहीं हुआ। अत: भर्ती-नियमों में निरर्थक एवं अव्यवाहारिक
प्रावधान को स्थान देना तर्क संगत नहीं है ।
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3.
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अनुसूची-।।। में यथा उल्लिखित निदेशक पद पर पदोन्नति के लिए दिए
गए प्रथम विकल्प-'संयुक्त निदेशक के रूप में 05 वर्ष की नियमित सेवा'- के स्थान पर 'संयुक्त निदेशक के रूप में
05 वर्ष की अनुमोदित सेवा' का प्रावधान करने के
साथ-साथ दूसरे विकल्प-'संयुक्त निदेशक एवं उप- निदेशक के रूप में ' सात वर्ष की सम्मिलित नियमित सेवा' के स्थान पर 'संयुक्त निदेशक एवं उप-
निदेशक के रूप में 'छह वर्ष की सम्मिलित अनुमोदित सेवा' का प्रावधान करने और इसके
साथ जोड़ी गई संयुक्त निदेशक के फीडर पद
पर न्यूनतम दो वर्ष की नियमित सेवा के स्थान पर 'एक वर्ष की सम्मिलित
अनुमोदित सेवा' का प्रावधान किया जाए।
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1. गणितीय आधार पर देखा जाए
तो वर्तमान स्थिति में निदेशक पद पर पदोन्नति के लिए कुछ दिन बाद केवल 01 पात्र संयुक्त निदेशक ही
उपलब्ध हो पाएगा और अगले लगभग 05 वर्ष में दूसरा कोई नियमित पात्र संयुक्त निदेशक उपलब्ध न होना निश्चित
है ।
2. निदेशक स्तर तक पदोन्नति
पाते-पाते अधिकारी सेवानिवृति के भी अत्यधिक करीब आ जाते हैं और इस स्तर पर
पदोन्नत होने के तत्काल बाद या पदोन्नत होने से तत्काल पहले सेवानिवृत हो जाते
हैं । फलस्वरूप इस स्तर पर रिक्तियाँ प्राय: बनी रहती हैं ।
3. निदेशक पद, जो सेवा का उच्चतम स्तर
है, को भरने के लिए मौजूदा
भर्ती नियमों में निर्धारित पात्रता वस्तुत: सहायक नहीं है और सेवा का उच्चतम
स्तर होने के कारण निदेशक के पदों को लंबे समय तक रिक्त रखना किसी भी दृष्टि से
समीचीन नहीं है क्योंकि इससे बड़े मंत्रालयों में संघ की राजभाषा नीति के कार्यान्वयन पर
प्रतिकूल प्रभाव पड रहा है।
4. अत: स्थिति के गहन विश्लेषण के
बाद अंतिम निष्कर्ष यही निकलता है कि सम्मिलित सेवा एवं न्यूनतम सेवा की अवधि को
कम करके क्रमश: 06 और 01 वर्ष करने से ही निदेशक पद पर पदोन्नति हेतु पात्र
संयुक्त निदेशक उपलब्ध हो पाएंगे, अन्यथा नहीं ।
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4.
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अनुसूची-।।। में यथा उल्लिखित संयुक्त निदेशक पद पर पदोन्नति के
लिए दिए गए प्रथम विकल्प-'उप निदेशक
के रूप में 05 वर्ष की नियमित सेवा'- के स्थान पर 'संयुक्त निदेशक के रूप में
05 वर्ष की अनुमोदित सेवा' का प्रावधान करने के
साथ-साथ दूसरे विकल्प- उप निदेशक एवं सहायक निदेशक के रूप में 'दस वर्ष की सम्मिलित नियमित सेवा' के स्थान पर 'सात वर्ष की सम्मिलित
अनुमोदित सेवा' का प्रावधान किया जाए ।
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1. अगले 04 वर्ष में संयुक्त निदेशक पद पर पदोन्नति के लिए
उप निदेशक के फीडर पद पर अपेक्षित संख्या में नियमित एवं पात्र अधिकारियों के
उपलब्ध होने की संभावना क्षीण होने के कारण अगले 04 वर्ष में ये पद पूरी तरह
नहीं भरे जा सकेंगे।
2. इस पद को भरने के लिए भी
मसौदा भर्ती नियमों में निर्धारित पात्रता एकदम सहायक नहीं है और सेवा का उच्च
स्तर होने के कारण संयुक्त निदेशक के पदों को लंबे समय तक रिक्त रखना समीचीन
नहीं है क्योंकि इससे बड़े मंत्रालयों में संघ की राजभाषा नीति के कार्यान्वयन पर
प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है ।
3. अत: दिए गए सुझावों के अनुसार
सम्मिलित सेवा एवं न्यूनतम सेवा की अवधि को कम करके क्रमश: 07 और 02 वर्ष करने से ही संयुक्त
निदेशक पद पर पदोन्नति हेतु पात्र अधिकारी उपलब्ध हो सकते हैं । इससे अधिकारियों
को पदोन्नति मिलने से उनका मनोबल भी बढ़ेगा ।
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5.
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उप निदेशक पद पर पदोन्नति
के लिए वर्ष 2006 में अधिसूचित पहले के
भर्ती नियमों में यथाविद्यमान सहायक निदेशक और वरिष्ठ अनुवादक के रूप में 07 वर्ष की सम्मिलित
सेवा के प्रावधान की बहाली की जाए ।
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1. उप निदेशक पद पर पदोन्नति
के लिए आगामी सवा चार वर्ष तक सहायक
निदेशक के फीडर पद पर कोई नियमित एवं पात्र अधिकारी उपलब्ध नहीं होगा
जबकि इस स्तर पर आज भी 86 में से लगभग 65 पद लंबे समय से रिक्त हैं और इतनी अधिक रिक्तियाँ
होने के बावजूद सहायक निदेशकों को पदोन्नति नहीं मिल पा रही है ।
2. उप निदेशक स्तर पर भारी
संख्या में रिक्तियाँ होने से सरकारी काम-काज तो हद से ज्यादा
कुप्रभावित हो ही रहा है। इसके साथ-साथ रिक्तियाँ होने के बावजूद पदोन्नति नहीं
मिलने से सहायक निदेशक भी अपनी जिंदगी की सबसे बुरी स्थिति से गुजर रहे हैं और
इतिहास का क्रूरतम मज़ाक झेलने और अपनों के हाथों त्रस्त होने के कारण उनमें से
अधिकाश का व्यवहार चिड़चिड़ा और असामान्य
हो गया है।
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6.
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सहायक निदेशक पद पर सीधी
भर्ती के लिए अपेक्षित अनुभव में से अध्यापन और अनुसंधान के अनुभव का विलोप किया
जाए और इस प्रयोजन के लिए केवल अनुवाद एवं राजभाषा नीति के कार्यान्वयन का ही
अनुभव मांगा जाए ।
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1. अध्यापन और अनुसंधान के क्षेत्र अनुवाद के क्षेत्र
से भिन्न हैं और ये सहायक निदेशक पद के
कार्यों एवं दायित्वों से मेल नहीं खाते हैं ।
2. अध्यापन और अनुसंधान के अनुभव का निर्धारण करने
में संभवत: भूलवश कार्मिक और प्रशिक्षण
विभाग के दिनांक 31.12.2010 के कार्यालय ज्ञापन की
हिदायतों का अनुपालन नहीं हो पाया है, जिसमें यह प्रावधान है कि ''निर्धारित अनुभव और उसकी
मात्रा/अवधि स्पष्ट होनी चाहिए और उन विशिष्ट क्षेत्रों का भी स्पष्ट उल्लेख
होना चाहिए जिनमें अनुभव की अपेक्षा की गई हो ताकि यह संबंधित पद के कार्यों एवं
दायित्वों के अनुरूप हो''।
3. विगत में अनुवाद से भिन्न क्षेत्रों, विशेषकर अध्यापन और
अनुसंधान के क्षेत्रों से सहायक निदेशक पद पर सीधी भर्ती के जरिए सेवा में
प्रविष्ट अधिकारियों को अपने कार्य- निष्पादन, विशेषकर अनुवाद कार्य, में दिक्कतों का सामना
करना पड़ा है और उन्होनें हमेशा अपने पूर्ववर्ती संवर्ग/संगठन में CSOLS से अधिक पदोन्नति के अवसर उपलब्ध होने का रोना रोते
हुए CSOLS में अपनी प्रविष्टि पर
रोष एवं पछतावे का इजहार किया है ।
4. अत: अनुसूची-V में सहायक निदेशक पद पर सीधी भर्ती के लिए मात्र
अनुवाद और संघ की राजभाषा नीति के कार्यान्वयन संबंधी अनुभव की अपेक्षा करना ही
तर्कसंगत होगा ।
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7.
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सहायक निदेशक स्तर पर सीधी
भर्ती केवल सीधी खुली प्रतियोगी लिखित परीक्षा के रूप में हो जिसमें 90% अधिमान लिखित भाग को और 10% अधिमान साक्षात्कार भाग
को दिया जाए।
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अनुसूची -III में सहायक निदेशक स्तर पर सीधी भर्ती के लिए लिखित
परीक्षा का प्रावधान वर्ष 2015 के भर्ती नियमों में पहले
से मौजूद है जिसको और अधिक स्पष्ट करते हुए परीक्षा का निर्धारण 'सीधी खुली प्रतियोगी लिखित
परीक्षा' के रूप में करने और 90% अधिमान परीक्षा के लिखित भाग को एवं 10% अधिमान साक्षात्कार भाग
को दिए जाने का उपबंध किया जाना न केवल तार्किक होगा, बल्कि इससे पारदर्शिता और
ईमानदारी को भी निस्संदेह बढ़ावा मिलने से यह माननीय प्रधानमंत्री जी की
साक्षात्कार समाप्त करने या उसके अधिमान में कमी करने की योजना का कार्यान्वयन
सुनिश्चित करने की दिशा में भी एक सकारात्मक कदम होगा ।
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8.
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सहायक निदेशक के पदों को
भरने के संबंध में भर्ती नियमों में CSS की समानांतर सेवा की तर्ज
पर यह प्रावधान किया जाए कि लगातार दो भर्ती वर्षों तक सहायक निदेशक पद की सीधी
भर्ती कोटा/प्रोन्नति कोटा की रिक्तियां न भरे जाने की स्थिति में उन्हें अगले
भर्ती वर्ष में भरी जाने वाली समान भर्ती-पद्दति की
रिक्तियों की संख्या में
जोड़ा जाएगा । इसके लिए, इस विषय पर CSS के भर्ती नियमों के प्रावधान को यथावत CSOLS के भर्ती नियमों में उल्लिखित किया जा सकता है ।
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1. CSS की समानांतर सेवा के अद्यतन भर्ती नियम, 2009 में पृष्ठ-18 पर अनुभाग अधिकारी पद के
मामले में भर्ती नियमों में यह व्यवस्था है कि-''यदि किसी भर्ती वर्ष में
अनुभाग अधिकारी पद की रिक्तियां भरने के लिए सीधी भर्ती परीक्षा द्वारा या वरिष्ठता-सह-उपयुक्तता
के आधार पर प्रोन्नति द्वारा पर्याप्त संख्या में अभ्यर्थी उपलब्ध न हों तो
न भरी गई रिक्तियां अग्रेनीत की जाएंगी और उन्हें अगले भर्ती वर्ष में भरी जाने
वाली समान भर्ती-पद्दति की रिक्तियों की संख्या में जोड़ा जाएगा, परंतु यह कि
उक्त न भरी गई रिक्तियों को उस वर्ष के पश्चात जिससे कि भर्ती संबंधित है, दो
भर्ती वर्षों से अधिक के लिए अग्रेनीत नहीं किया जाएगा और इसके पश्चात भी यदि
एक भर्ती-पद्दति से संबंधित रिक्तियां नहीं भरी जाती हैं तो उन्हें दूसरी
भर्ती-पद्दति में अतिरिक्त रिक्तियों
के तौर पर
अंतरित किया जाएगा'' ।
2. इसी तर्ज पर मसौदा भर्ती
नियमों की अनुसूची-III में क्रम सं.4-सहायक निदेशक- के सामने कॉलम-5 के अंत में एक नोट जोड़कर समान प्रावधान करना
अत्यधिक तार्किक होगा क्योंकि सहायक निदेशक स्तर पर भी पदों को भरने की दो
भर्ती-पद्दतियां -पदोन्नति और सीधी भर्ती- होने के कारण भविष्य में सीधी भर्ती
एवं पदोन्नति कोटा के सहायक निदेशकों के बीच पारस्परिक वरिष्ठता के निर्धारण को
लेकर मुक़दमेबाज़ी की कोई गुंजाईश नहीं रहेगी ।
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9.
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सहायक निदेशक स्तर के कुछ
पदों को सीमित विभागीय प्रतियोगी परीक्षा (LDCE) के जरिए भरा जाए ।
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LDCE का प्रावधान करने से उन अनुवादकों को भी अवसर मिलेगा जो योग्य होने के
बावजूद लंबे समय तक सीधी भर्ती न होने के कारण सहायक निदेशक नहीं बन सके और अब
सीधी भर्ती की शुरुआत होने पर निर्धारित आयु-सीमा पार कर गए हैं तथा बिना कोई
गलती किए पदोन्नति की लंबी कतार में लगने को मजबूर हैं। वस्तुत: LDCE का प्रावधान करने से निर्दोष एवं योग्य अनुवादकों
द्वारा भोगी गई सजा का उन्हें कुछ मुआवजा मिल जाएगा।
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10.
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अनुसूची-VII में कनिष्ठ अनुवादक पद पर भर्ती के लिए निर्धारित
अनिवार्य योग्यता में डिप्लोमा/ प्रमाण पत्र पाठ्यक्रम की योग्यता को अनिवार्य न
रखकर वांछनीय के रूप में रखा जाए ।
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1. फीडर पद हेतु अनुवाद के
अनुभव की अनिवार्य योग्यता को हटाना प्रशंसनीय है परंतु इसमें से इसी तरह
डिप्लोमा/ प्रमाण पत्र पाठ्यक्रम को भी अनिवार्य योग्यता से हटाना और भी ज्यादा तर्कसंगत
होगा क्योंकि कनिष्ठ अनुवादक का पद सेवा का फीडर पद है जिसके लिए इस तरह की
योग्यताओं को अनिवार्य बनाना प्राकृतिक न्याय के विरुद्ध होगा, विशेषकर इसलिए भी कि CSOLS से बाहर भी कनिष्ठ अनुवादक का पद हिन्दी पदों का
फीडर पद ही है जिसके भर्ती नियम प्राय: CSOLS के भर्ती नियमों की अनुलिपि होती है ।
2. अनुवाद में डिप्लोमा या
प्रमाण पत्र बहुत ही कम लोकप्रिय है जिसकी जानकारी अपवाद-स्वरूप 02 या 03 महानगरों के छात्रों को
छोड़कर विशाल भारतीय भू-भाग के अन्य लोगों, विशेषकर ग्रामीण एवं
दूर-दराज के क्षेत्रों तथा समाज के कमजोर तबकों की शिक्षित जनता को भी नहीं है
जिसके कारण इन क्षेत्रों/तबकों से संबन्धित छात्रों का इस सेवा में प्रवेश
अघोषित रूप से निषिद्ध हो जाएगा जो प्राकृतिक न्याय के विरुद्ध एवं अलोकतांत्रिक
कदम होगा ।
3. अनुवाद में डिप्लोमा या
प्रमाण पत्र का पाठ्यक्रम अधिकांश शिक्षण संस्थानों में अप्रचलित सा है जो भारत
भर में बहुत ही कम विश्वविध्यालयों/संस्थानों द्वारा मान्य रूप में सम्पन्न
कराया जाता है ।
4. अत: अनुसूची-VII में कनिष्ठ अनुवादक पद पर भर्ती के लिए निर्धारित
डिप्लोमा/ प्रमाण पत्र की योग्यता या अनुवाद के अनुभव को अनिवार्य योग्यता की जगह
वांछनीय योग्यता के रूप में रखना निर्विवाद रूप से तर्कपूर्ण और व्यापक जनहित
में होगा ।
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11
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CSOLS में 'कनिष्ठ अनुवादक' और 'वरिष्ठ अनुवादक' पदों
के पदनाम बदलकर क्रमश: 'सहायक अनुवाद अधिकारी' और 'अनुवाद अधिकारी'
किए जाएँ, न कि कनिष्ठ अनुवाद अधिकारी और वरिष्ठ अनुवाद अधिकारी । (संशोधित मांग
)।
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1. हाल में CSS की समानान्तर सेवा में सहायक को 'सहायक अनुभाग
अधिकारी' के रूप में, CSCS में अवर श्रेणी लिपिक को 'कनिष्ठ सचिवालय सहायक'
एवं उच्च श्रेणी लिपिक को 'वरिष्ठ सचिवालय सहायक' के रूप में तथा CSSS में आशुलिपिक श्रेणी 'घ' को आशुलिपिक, आशुलिपिक
श्रेणी 'ग' को व्यैक्तिक सहायक के रूप में पदनामित किया जा चुका है, अत: CSOLS के सेवा नियमों में भी
'कनिष्ठ अनुवादक' और 'वरिष्ठ अनुवादक' पदों के पदनाम बदलकर क्रमश: 'सहायक
अनुवाद अधिकारी' और 'अनुवाद अधिकारी' किए जाने से काफी हद तक
अनुवादकों का मनोबल बढ़ेगा ।
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12
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अनुसूची-V एवं अनुसूची-VII में उल्लिखित सहायक निदेशक एवं कनिष्ठ अनुवादक पदों पर
सीधी भर्ती के लिए निर्धारित अनिवार्य शैक्षणिक योग्यता का पाठ एक समान रखा जाए।
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अनुसूची-VII में सेवा के फीडर पद- कनिष्ठ अनुवादक- पर सीधी
भर्ती के लिए निर्धारित शैक्षणिक योग्यता अनुसूची-V में उल्लिखित सहायक निदेशक पद पर सीधी भर्ती के लिए
निर्धारित शैक्षणिक योग्यता की तुलना में अधिक स्पष्ट, उदार एवं व्यापक है, अत: सहायक निदेशक पद पर
सीधी भर्ती के लिए भी कनिष्ठ अनुवादक पद पर सीधी भर्ती के लिए निर्धारित
शैक्षणिक योग्यता को ही यथावत स्वीकार किया जाना चाहिए। यह इसलिए भी जरुरी है कि
CSOLS में कनिष्ठ अनुवादक के रूप में प्रविष्ट व्यक्ति
को अपनी ही सेवा में सहायक निदेशक पद की सीधी भर्ती की परीक्षा में भागीदार बनने
से केवल इसलिए नहीं रोका जा सकता कि उसकी शैक्षणिक योग्यता कनिष्ठ अनुवादक पद के
अनुरूप तो है परंतु सहायक निदेशक पद के
अनुरूप नहीं ।
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13
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अनुसूची-VII में कनिष्ठ अनुवादक पद पर
सीधी भर्ती के लिए उल्लिखित शैक्षणिक
योग्यता तथा अनुसूची-V में निदेशक पद पर सीधी भर्ती के लिए उल्लिखित अनिवार्य शैक्षणिक योग्यता के साथ- साथ
कंप्यूटर दक्षता परीक्षा में अर्हता प्राप्त करने को अनिवार्य बनाया जाए ।
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1. CSS के सहायक (अब सहायक अनुभाग
अधिकारी) के पद सहित दूसरे कईं कार्यालयों/संवर्गों के पदों पर चयन हेतु
कंप्यूटर दक्षता परीक्षा में अर्हता प्राप्त करने को अनिवार्य बनाया गया है।
2. जहां तक सेवा में अब तक प्रविष्ट हो चुके अनुवादकों/अधिकारियों
का संबंध है, उनमें से अधिकांश ने सरकारी सेवा में कंप्यूटर पर
काम करना सीख लिया है, अत: उनके लिए इस तरह के प्रशिक्षण की जरूरत नहीं
है । 3. कंप्यूटर के बारे में बेसिक ज्ञान होना आज के जमाने में जरूरी होने के
कारण सीधी भर्ती के अनुवादकों/सहायक निदेशकों के लिए भी उल्लिखित अनिवार्य शैक्षणिक योग्यता के साथ- साथ
कंप्यूटर दक्षता परीक्षा में अर्हता प्राप्त करने को अनिवार्य बनाया जाना
तर्कसंगत होगा ।
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14
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अनुसूची-III में, पदोन्नति के लिए संस्थागत
प्रशिक्षण के संबंध में प्रत्येक स्तर के अधिकारियों के मामले में बार-बार जोड़े
गए नोट को इस अनुसूची के अंत में केवल एक बार जोड़ा जाए, और व्यापक दृष्टिकोण
अपनाते हुए सरकारी कार्य के दक्षतापूर्ण संचालन के सुनिश्चय के लिए इस सेवाकालीन
प्रशिक्षण की योजना का पुनर्निर्धारण करके इसमें CTB द्वारा दिए जाने वाले अनुवाद प्रशिक्षण, CHTI के
पुनश्चर्या पाठ्यक्रम, ISTM के कार्यालय पद्धति
प्रशिक्षण एवं शैक्षिक भ्रमण आदि को शामिल किया जाए ।
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1. जब कोई
प्रावधान सभी स्तरों के अधिकारियों के मामले में एक समान रूप से लागू होता है तो
अंत में लिखी गई टिप्पणियों के अनुसूची का अभिन्न अंग होने के कारण, उसे संबन्धित अनुसूची के
अंत में लिखा जाता है।
2. अनुवादकों को भर्ती होने के तुरंत बाद कार्यालयों
का आवंटन न करके उन्हें परीवीक्षा अवधि के दौरान ही CTB द्वारा दिए जाने वाले
अनुवाद प्रशिक्षण, CHTI के
पुनश्चर्या पाठ्यक्रम, ISTM के कार्यालय पद्धति प्रशिक्षण एवं शैक्षिक भ्रमण
आदि में नामित किए जाने से वे संभवत: अधिक दक्षता से एवं ताजगी के साथ सरकारी
कार्य का रुचिकर ढंग से निपटान करेंगे।
3. भारत सरकार में विदेशी भाषा-अंग्रेज़ी- में
सरकारी काम-काज होता है और अभी तक भारत विकाशशील देशों की ही श्रेणी में आता है, अत: भारत को हिंदी में
काम करते हुए विकसित देशों की कतार में खड़ा करने की संभावना का पता लगाने की
दृष्टि से, विश्व में विकसित देशों द्वारा अपनी स्थानीय/देशीय भाषा में सरकारी
काम-काज करते हुए भी उनके द्वारा की गई सराहनीय तरक्की के अध्ययन के लिए, सीधी भर्ती के सहायक
निदेशकों को परीवीक्षा अवधि के दौरान एवं पदोन्नत सहायक निदेशकों, उप-निदेशकों, संयुक्त निदेशकों एवं
निदेशकों को पदोन्नति के 06 माह के अंदर, CTB द्वारा दिए जाने वाले एक
सप्ताह के अनुवाद प्रशिक्षण एवं CHTI के एक सप्ताह के
पुनश्चर्या पाठ्यक्रम/प्रशिक्षण के अतिरिक्त विदेशों में न्यूनतम 12 देशों के
तीन माह के शैक्षिक भ्रमण पर भेजने का स्पष्ट प्रावधान अनुसूची-III में प्रशिक्षण संबंधी नोट में किया जाना अपरिहार्य
है।
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अनुरोध
है कि उपरोक्त सुझावों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करके भर्ती नियमों के मसौदे को
तदनुसार संशोधित कराने की कृपा करें ।
सधन्यवाद,
संलग्नक:
परिचय-पत्र की स्वहस्ताक्षरित फोटोप्रति ।
नई
दिल्ली, दिनांक ---.02.2017 भवदीय,
नाम:
पदनाम:
कार्यालय:
दूरभाष: